Guru ghasidas jayanti: आप सभी को आज हम संत सिरोमणि गुरु घासीदास बाबा जी के विषय में और इनके महिमा के बारे में पूरी जानकारी देंगे , आप सभी हमारे साथ सुरु से लास्ट तक बने रहिये | आप सभी को बता दे गुरु घासीदास बाबा जी का जयंती छतीसगढ़ में बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता हैं | सभी लोगों को गुरु घासीदास बाबा सत्य के मार्ग पर चलना सिखाया था | चलिए सुरु करते हैं पुरे स्टोरी और आप सभी को समझाने की कोसिस करते हैं |
Guru Ghasidas baba Biography In Hindi
Guru ghasidas jayanti – छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर जिले के गिरौदपुरी गांव में पिता महंगुदास जी एवं माता अमरौतिन के कोख से जन्मे थे गुरू घासीदास जी सतनाम धर्म जिसे आम बोल चाल में सतनामी समाज कहा जाता है | 18 दिसम्बर 1756 गिरौदपुरी, छत्तीसगढ़ में गुरु घासीदास बाबा जी के जन्म हुआ था | उन्होंने अपने समय की सामाजिक आर्थिक विषमता, शोषण तथा जातिवाद सामंतीयो काअन्नयाय अत्याचार को समाप्त करके मानव-मानव एक समान का संदेश दिया। इनसे समाज के लोग बहुत ही प्रभावित थे।
उनका विवाह सिरपुर के पास अंजोरा गांव निवासी देवदत्त की पुत्री सफूरा के साथ हुआ। बाद में उनके चार बेटे अमरदास, बालकदास, आगरदास, अड़गड़िया और बेटी सुभद्रा हुई।
Guru ghasidas jayanti – गुरु घासीदास जी की शिक्षा
Guru ghasidas jayanti – आप सभी को बता दें गुरु घासीदास को ज्ञान की प्राप्ति छत्तीसगढ़ जिला के सारंगढ़ तहसील में बिलासपुर रोड में स्थित एक पेड़ के नीचे तपस्या करते वक़्त प्राप्त हुआ माना जाता है। उसके बाद से बाबा जी हमेशा सत्य के मार्ग पर चनले के लिए बताया हैं | आप सभी को बता दूँ आज भी गुरु घासीदास की महिमा छत्तीसगढ़ में हैं |
आप सभी को बता दे गरूर घासीदास जी ने हमेशा से जातिवाद का विरोद किया और न्होंने ब्राम्हणो के प्रभुत्व को ना कहा। और कई वर्णो में बाटने वाली जाती व्यवस्था का विरोध किया। उनका मानना था की समाज में प्रत्येक व्यक्ति सामाजिक रूप से सामान है।
Guru ghasidas jayanti – सतनाम पंथ की स्थापना
Guru ghasidas jayanti – गुरु घासीदास बाबा जी ने हमेशा सत्य वचन को अपनाया और लोगों को सत्य के वाणी देना सुरु की उसके बाद बाबा जी के वचनों को बहुत लोग ने अपनाया और इनके बताये मार्ग पर चलना सुरु कियें | आप सभी को बता दें बाबा गुरु घासीदास ने छत्तीसगढ़ में सतनाम पंथ की स्थापना की हैं | इस संप्रदाय के लोग उन्हें अवतारी पुरुष के रूप में मानते है। गुरु घासीदास बाबा जी के रचनाओं में से सात वचन को सतनाम पंथ के मुख्य प्रतिष्ठित माना जाता हैं | इसलिए सतनाम पंथ का संस्थापक भी गुरु घासीदास जी को ही माना जाता है।
Guru ghasidas jayanti – गुरु घासीदास जी की सात शिक्षाएँ
- सतनाम पर विश्वास
- मूर्ति पूजा का निषेध
- जाति-पाति के प्रपंच में नहीं पड़ना
- जीव हत्या नहीं करना
- मांसाहार और नशा नहीं करना
- चोरी, जुआ से दूर रहना
- यभिचार नहीं करना
Guru ghasidas jayanti – अगर आप सभी सत्य के मार्ग और गुरु घासीदास बाबा जी के बताये मार्ग पर चलना हैं तो इन सात वचन को अपने अंदर करना होगा उसके बाद आप लोग एक सतनाम पंथ का हिस्सा बन सकते हैं |
Guru ghasidas jayanti – गुरु घासीदास बाबा ने क्या कहा था
गुरू घासीदास पशुओं से भी प्रेम करने की सीख देते थे। वे उन पर क्रूरता पूर्वक व्यवहार करने के खिलाफ थे। सतनाम पंथ के अनुसार खेती के लिए गायों का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिये। गुरू घासीदास के संदेशों का समाज के पिछड़े समुदाय में गहरा असर पड़ा। सन् 1901 की जनगणना के अनुसार उस वक्त लगभग 4 लाख लोग सतनाम पंथ से जुड़ चुके थे और गुरू घासीदास के अनुयायी थे।
छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वीर नारायण सिंह पर भी गुरू घासीदास के सिध्दांतों का गहरा प्रभाव था। गुरू घासीदास के संदेशों और उनकी जीवनी का प्रसार पंथी गीत व नृत्यों के जरिए भी व्यापक रूप से हुआ। यह छत्तीसगढ़ की प्रख्यात लोक विधा भी मानी जाती है।
गुरु घासीदास बाबा जी के जैतखाम की उचाई
ये जैतखाम दिल्ली के कुतुब मीनार से 6 फीट ऊंचा है. दरअसल कुतुब मीनार की ऊंचाई 72.5 मीटर यानी 237 फीट वहीं जैतखाम की ऊंचाई 77 मीटर यानी 243 फीट है |
समाज सुधार
गुरु घासीदास बाबा जी ने अपने ही समाज में हो रहे छुआ-छूत और भेदभाव को खतम करने के लिए इहोने मनखे-मनखे एक समान का संदेस दिया था | लेकिन आज भी कुप्रथा नहीं गया हैं और आज भी ऐसी ही छुआ छुत और भेदभाव में लगे हुए हैं |
आप सभी को बता दे समझ एक संगठन होता हैं जिसमे एक दुसरे की मदद की जाती हैं लेकिन बहुत जगह पर इनके पूरा उल्टा होता हैं | आप सभी को बता दें सबसे ज्यादा सत्य के मार्ग मानने वाले छत्तीसगढ़ के लोग हैं जो की गुरु घासीदास के वाणी को अपनाया और इनके बताया हुआ मार्ग को अपनाये |
सतनाम का पहचान
आप सभी को बता दें सतनाम की पहचान उनके भेस-भुजा से होता हैं जिसमे सदा कपड़ों की धारण और सदा के चन्दन , जानेव , कंठी माला और हाथ पर धरे तलवार , मुड पर सदा के पगड़ी यहाँ सब हे इनके पहचान |
गुरु घासीदास जी की जयंती (Guru ghasidas jayanti)
प्रतिवर्ष 18 दिसंबर को गुरुघासीदास (guru ghasidas jayanti in hindi) का जन्मदिन को पुरे छत्तीसगढ़ में गुरु घासीदास जी की जयंती के रूप में मनाया जाता है | आप सभी को बता दे गुरु बाबा जी की जयंती ओडिशा में बहुत ही कम मनाया जाता हैं |